[ मित्रो!
पिछली पोस्ट में मैने सूचित किया था कि मेरा अगला ग़ज़ल संग्रह -अभी संभावना है -का संशोधित रूप प्रकाशित हो कर आ गया है। साथ में यह भी सूचित किया था कि इस पुस्तक का आशीर्वचन आदरणीय द्विजेन्द्र ’द्विज’ जी ने लिखा है। जो ग़ज़ल समझते हैं जानते हैं वह ’द्विज जी’ को जानते होंगे। चूँकि द्विज जी एकान्त साहित्य साधक है, आत्म प्रचार प्रसार से, आत्मश्लाघा से, आत्म मुग्धता से बहुत दूर रहते हैं, संभव है बहुत से लोग नहीं भी जानते होंगे।
ख़ैर
इस पुस्तक के बारे में आज उन्हीं का संक्षिप्त आलेख यहाँ लगा रहा हूँ। आप भी पढ़े, आनन्द उठाएँ और आशीर्वाद दें।
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प्रस्तुत काव्य संकलन सुविख्यात व्यंग्यकार, ग़ज़लकार एवं गीतकार श्री आनन्द पाठक ’आनन’ के प्रथम ग़ज़ल गीत संग्रह ‘अभी संभावना है’ का परिवर्तित, परिवर्धित, परिष्कृत व परिशोधित संस्करण है।
2007 में प्रथम काव्य संग्रह ‘अभी संभावना है’ के प्रकाशन के पश्चात भी उन्होंने दर्जन से अधिक उत्कृष्ट काव्य संकलन साहित्य जगत को दिये हैं लेकिन अपने लेखन के निरंतर परिशोधन व परिष्कार के संस्कार ने उन्हें इस आवृति / संस्करण के लिए प्रेरित किया है। यह उनके व्यक्तित्व की विशालता है।
विशुद्ध साहित्यिक पृष्ठभूमि से आने वाले श्री आनन्द पाठक ’ आनन’ विविध छान्दसिक और गद्यात्मक विधाओं के गंभीर अध्येता हैं । चिराभ्यस्त ( कोहनामशक) शाइर हैं । कथ्य और शिल्प की सूक्ष्मताओं को आत्मसात उन्हें लेकर अपने अन्वेषणों को विभिन्न संचार माध्यमों से सुधी पाठक जगत के साथ साझा भी करते हैं। उनकी व्यक्तित्व की सहजता सरलता और तरलता का प्रतिबिंब उनकी शायरी में देखा जा सकता है।
इस सहृदय रचनाकार के लेखन की मूल प्रेरणा उनका समग्र सामाजिक राजनैतिक और आध्यात्मिक परिवेश है जो उनकी रचनाओं में हार्दिकता के साथ प्रमुखता से झलकता है।
पाठक साहिब मानवता के अस्तित्व की संभावनाओं के प्रति आशान्वित शायर हैं। उनकी शाइरी समय की क्रूर सच्चाइयों को लेकर उनके चिंतन मंथन का प्रतिबिम्ब है। समकाल के क्रूर सत्य, समकाल की विविध विडंबनाएं,विद्रूपताएँ और विकृतियाँ उनकी रचनात्मकता में बहुत प्रभावशाली ढंग से प्रतिबिम्बित होते हुए देखे जा सकते हैं। उनका संवेदना सम्पन्न अंतर्मन और इनकी रचनात्मकता उनके गीतों ग़ज़लों माहियों और व्यंग्यों के सहज सम्प्रेषण के साथ सुधी पाठक के मनमस्तिष्क से संवाद करते हैं । जीवन के तमाम मौसमों के विभिन्न रंगों और और उनकी छटाओं का आकलन बारीक़ी से करते हैं और उन्हें अपनी विशिष्ट छाप के साथ प्रस्तुत करते हैं। उनके यहाँ कथ्य की नवीनता आकर्षित करती है। उनका सृजन आदमी में आदमीयत जगाने की संभावनाओं से सपन्न सृजन है। आनन साहिब का एक शे’र है:
प्रस्तुत संग्रह में उनकी इन्हीं दस्तकों की अनुगूँज सुनी जा सकती है। उनके प्रथम काव्य संग्रह ‘अभी संभावना है’ की सार्थक द्वितीय आवृत्ति के प्रकाशन के लिए शुभकामनाओं सहित,
सादर,
कुछ मित्रॊं का प्रश्न था कि क्या यह पुस्तक ’अमेजान’ पर उपलब्ध है “
प्रकाशक महोदय ही विपणन [ मार्केटिंग] का कार्य करते है अत: उन्होने इसे ’अमेजान’ प्लेटफ़ार्म पर लगा दिया है जिसका लिंक नीचे लगा दिया है।
वैसे भी पुस्तक प्राप्ति के लिए आप संपर्क कर सकते है_
श्री संजय कुमार
अयन प्रकाशन
जे-19/39 , राजापुरी, उत्तम नगर
नई दिल्ली -110 059
Email : ayanprakashan@gmail.com
Web site: www.ayanprakashan,com
Whatsapp 92113 12371
--आनन्द पाठक-
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