शुक्रवार, 1 मई 2015

चन्द माहिया : क़िस्त 20




:1:

 दम झूठ का भरते हो
क्या है मजबूरी
जो सच से डरते हो 


:2:


मालूम तो थी मंज़िल

राहें भी मालूम
क्यों दिल को लगी मुश्किल

:3:

करता भी क्या करता
पर्दे के पीछे
इक और बड़ा परदा

;4:
ताउम्र वफ़ा करते
मिल जाते गर तुम
्फिर हम न ख़ता करते

:5:

ये हाथ न छूटेगा
साँस भले छूटे
पर साथ न छूटेगा


-आनन्द.पाठक-
[सं 11-06-18]



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