:1:
दम झूठ का भरते हो
क्या है मजबूरी
जो सच से डरते हो
:2:
मालूम तो थी मंज़िल
राहें भी मालूम
क्यों दिल को लगी मुश्किल
:3:
करता भी क्या करता
पर्दे के पीछे
इक और बड़ा परदा
;4:
ताउम्र वफ़ा करते
मिल जाते गर तुम
्फिर हम न ख़ता करते
:5:
ये हाथ न छूटेगा
साँस भले छूटे
पर साथ न छूटेगा
-आनन्द.पाठक-
मिल जाते गर तुम
्फिर हम न ख़ता करते
:5:
ये हाथ न छूटेगा
साँस भले छूटे
पर साथ न छूटेगा
-आनन्द.पाठक-
अब इन माहियो को कवयित्री डा0 अर्चना पाण्डेय ’अर्चना’ की आवाज़ में सुनें--
अब इन्हीं माहियों को कवयित्री अनिता जैन जी के आवाज़ में सुनें
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