शुक्रवार, 29 जनवरी 2021

अनुभूतियाँ : क़िस्त003

अनुभूतियाँ 003 OK


009

  रिश्ते-नाते, प्रेम, लगन सब

कुछ  शब्द बचे , निष्प्राण हुए  

 जाने क्यों ऎसा लगता है 

सब  मतलब के उपमान हुए  


010

 मेरी कुटिया  राजमहल है

दुनिया से क्या लेना देना,

तुम्हें मुबारक सोना चाँदी

 मुझे बहुत है चना चबेना


011

कतरा क़तरा आँसू मेरे 

जीवन के मकरन्द बनेंगे

सागर से भी गहरे होंगे

पीड़ा से जब छन्द बनेंगे 


012

सबके अपने अपने  सपने

सब के अपने अपने ग़म हैं

 तुम ही एक नहीं दुनिया में

आँखें रहती जिसकी नम हैं


-आनन्द.पाठक-


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