शुक्रवार, 29 जनवरी 2021

अनुभूतियाँ : क़िस्त03

अनुभूतियाँ 03


01

   रिश्ते-नाते, प्रेम, लगन सब

  शब्द बचे , निष्प्राण हुए  हैं

 जाने क्यों ऎसा लगता है 

  मतलब के उपमान हुए  हैं


02

 मेरी कुटिया  राजमहल-सी

दुनिया से क्या लेना देना,

मन में हो सन्तोष अगर तो

काफी होगा  चना चबेना


03

कतरा क़तरा आँसू मेरे 

जीवन के मकरन्द बनेंगे

सागर से भी गहरे होंगे

पीड़ा से जब छन्द बनेंगे 


04

सबके अपने अपने  सपने

सब के अपने अपने ग़म हैं

 एक नहीं  तू ही दुनिया में

आँखें रहती जिसकी नम हैं


-आनन्द.पाठक-


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