शुक्रवार, 8 जनवरी 2021

अनुभूतियाँ : क़िस्त 001

  कुछ अनुभूतियाँ :001 ok 


001 
दिल प्यार लुटाते चलता है
इस दिल की अपनी चाह अलग
ये दुनिया वाले क्या समझें
दुनिया की अपनी राह अलग

002 
वो वक़्त गया वो दिन बीता
 कल तक जो मेरे अपने  थे
मौसम बदला वो ग़ैर हुए
 इन आँखों के जो सपने  थे

003 
पर्वत जितना धीर अटल हो
उसके अन्दर भी इक दिल है
दर्द उसे भी होता रहता
दुनिया क्यों इससे गाफ़िल है

004 
 कश्ती दर्या में आ ही गई
लहरों के थपेड़े साहिल क्या
तूफ़ान बला से क्या डरना
फिर हासिल क्यालाहासिल क्या

-आनन्द.पाठक-


इन्हें मेरी आवाज़ में सुनें---You Tube par




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