कुछ अनुभूतियाँ :001 ok
001
दिल प्यार लुटाते चलता है
इस दिल की अपनी चाह अलग
ये दुनिया वाले क्या समझें
दुनिया की अपनी राह अलग
दिल प्यार लुटाते चलता है
इस दिल की अपनी चाह अलग
ये दुनिया वाले क्या समझें
दुनिया की अपनी राह अलग
002
वो वक़्त गया वो दिन बीता
कल तक जो मेरे अपने थे
मौसम बदला वो ग़ैर हुए
इन आँखों के जो सपने थे
003
पर्वत जितना धीर अटल हो
उसके अन्दर भी इक दिल है
दर्द उसे भी होता रहता
दुनिया क्यों इससे गाफ़िल है
पर्वत जितना धीर अटल हो
उसके अन्दर भी इक दिल है
दर्द उसे भी होता रहता
दुनिया क्यों इससे गाफ़िल है
004
कश्ती दर्या में आ ही गई
लहरों के थपेड़े , साहिल क्या
तूफ़ान बला से क्या डरना
फिर हासिल क्या, लाहासिल क्या
-आनन्द.पाठक-
इन्हें मेरी आवाज़ में सुनें---You Tube par
U can see Video of it right here
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