शुक्रवार, 8 जनवरी 2021

अनुभूतियाँ : क़िस्त 01

  कुछ अनुभूतियाँ :01


01 

तुम प्यार बाँटते चलती हो

सद्भाव ,तुम्हारी चाह अलग

दुनिया को इस से क्या मतलब

दुनिया की अपनी राह अलग

02 

वो वक़्त गया वो दिन बीता

कलतक  मेरे जो अपने  थे

मौसम बदला वो ग़ैर हुए

 इन आँखों के जो सपने  थे

03 

ग़ैरों के सितम पर क्या कहते

अपनों ने सितम जब ढाया है

अच्छा ही हुआ कि देख लिया

है अपना कौन पराया  है

04 

 कश्ती दर्या में आ ही गई

लहरों के थपेड़े साहिल क्या

तूफ़ान बला से क्या डरना

फिर हासिल क्यालाहासिल क्या


-आनन्द.पाठक-


इन्हें मेरी आवाज़ में सुनें---

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