शुक्रवार, 15 मई 2009

विविध

हाइकू
सांझ सकारे
याद तुम्हारी आई
तुम्हे पुकारे
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बच्चों की टोली
छू माँ का आँचल
करे ठिठोली
+ +
गरीबी रेखा
बढ़ती हुई दिखी
जिधर देखा
* *
नन्ही चिडियां
खेल रही आँगन
जैसे गुडिया

-आनन्द पाठक-

2 टिप्‍पणियां:

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

bahut khoob haiku, main to nano kavita kahunga. bahut sunder.

सांझ सकारे
याद तुम्हारी आई
तुम्हे पुकारे

wah.

A K Kothari ने कहा…

स्थूल तन,
पत्थर के मकान,
पत्थर दिल.