गुरुवार, 14 मई 2009

गीत 05 [05] : कुंकुम से नित माँग सजाए ...

गीत 05 [05]

कुंकुम से नित माँग सजाए ,प्रात: आती कौन ?
प्रात: आती कौन ?

प्राची की घूँघट अध खोले
अधरों के दो पुट ज्यों डोले

मलय गंध में डूबी-डूबी तुम सकुचाती कौन ?
तुम सकुचाती कौन ?

फूलों के नव-गंध बटोरे
अभिरंजित रश्मियाँ बिखेरे

करती कलरव गान विहंगम तुम शरमाती कौन?
तुम शरमाती कौन?

मन्द हवाएँ   गाती आतीं
आशाओं की किरण जगाती

छम-छम करती उतर रही हो नयन झुकाती कौन?
नयन झुकाती कौन?

लहरों के दर्पण भी हारे
जब-जब तुमने रूप निहारे

पूछ रहे हैं विकल किनारे तुम इठलाती कौन?
तुम इठलाती कौन?
कुंकुम से नित माँग सजाए ....

-आनन्द.पाठक-

[सं0 28-04-19]

23 टिप्‍पणियां:

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

anand ji mujhe aapki kavita behad rochak lagi , bahut pasand aai

लहरों के दर्पण भी हारे
जब-जब तुमने रूप निहारे
पूछ रहे हैं विकल किनारे तुम इठलाती कौन?
कुंकुम से नित माँग सजाए ....

aapko is rachna ke liye bahut bahut badhai.

अमिताभ त्रिपाठी ’ अमित’ ने कहा…

आनन्द जी,
आपका ब्लॉग देखा। अच्छा लगा। गीत तो शायद पहले भी पढ़ चुका था। ब्लॉग पहली बार देख रहा हूँ। एक निवेदन है, क्या प्रोफ़ाइल हिन्दी में लिखने में कुछ कठिनाई है और यह वर्ड वेरीफिकेशन का भी चक्कर खतम करने पर विचार करिये।
सादर

दिगम्बर नासवा ने कहा…

लहरों के दर्पण भी हारे
जब-जब तुमने रूप निहारे
पूछ रहे हैं विकल किनारे तुम इठलाती कौन?

सुन्दर शब्दों से रची .........सुन्दर रचना.....सुन्दर छंद...........

Deepak "बेदिल" ने कहा…

sundar geet....lajawaab

Akhileshwar Pandey ने कहा…

पाठक जी ब्‍लाग जगत में आपका हार्दिक स्‍वागत।
शब्‍दों की सुंदर अभिव्‍यक्ति के लिए बधाई स्‍वीकार करें।

Akhileshwar Pandey ने कहा…

पाठक जी ब्‍लाग जगत में आपका स्‍वागत है। शब्‍दों की सुंदर अभिव्‍यक्ति के लिए बधाई स्‍वीकार करें।

Akhileshwar Pandey ने कहा…

ब्‍लाग की दुनिया में आपका स्‍वागत है।

अनूप शुक्ल ने कहा…

सुन्दर। ब्लागजगत में आपका स्वागत है।

gazalkbahane ने कहा…

कुंकुम से नित माँग सजाए ,प्रात: आती कौन ?
प्राची की घूँघट अध खोले
अधरों के दो पुट ज्यों डोले
मलय गंध में डूबी-डूबी तुम सकुचाती कौन ?
खूब कहा साहिब-स्वागत है अंतर्जाल दुनिया में

gazalkbahane ने कहा…

kindly remove word verification ,it makes comments difficult,you may visit my blogs
one of my gazal is
गीत गज़ल या गाली लिख
बात मगर मतवाली लिख
http://gazalkbahane.blogspot.com/ कम से कम दो गज़ल [वज्न सहित] हर सप्ताह
http:/katha-kavita.blogspot.com/ दो छंद मुक्त कविता हर सप्ताह कभी-कभी लघु-कथा या कथा का छौंक भी मिलेगा
सस्नेह
श्यामसखा‘श्याम

shama ने कहा…

Bohothee sundar rachna...nisarg aur pyarka anupam,anootha sangam..
Anek shubhkamnayen..

उम्मीद ने कहा…

आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . लिखते रहिये
चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है

गार्गी

ALBELA KHATRI ने कहा…

bahut hi achha laga
badhai

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

blog or kavita dono shandar jandar, narayan narayan

आनन्द पाठक ने कहा…

sabhi mitro ka /saathiyon ka
utsaah vardhan ke lie aap logo ka bahut bahut dhanyvaad

---anand

mastkalandr ने कहा…

वाह..भई..वाह,क्या खूब कल्पना है,गज़ब की शोखी-ए-नाज़ है..आपको हमारी शुभकामनाए ..

ये चाँद से मुखड़े पे भला लगता है कुमकुम
है तेरे हुस्ने दिल अफरोज़ का जेवर कुमकुम ... मक्

दिल दुखता है... ने कहा…

हिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका तहेदिल से स्वागत है....

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

रचना गौड़ ’भारती’ ने कहा…

बहुत सुंदर.हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं। मेरे ब्लोग पर भी आने की जहमत करें।

आनन्द पाठक ने कहा…

प्रिय भारती जी
आप क निमन्त्रण स्वीकार है
आप के ब्लाग पर भी ज़रूर आएगे
--आनन्द

आनन्द पाठक ने कहा…

मान्या सगीत जी
आप क स्नेह व आशीर्वाद मिलता रहेगा हम प्रयास करते रहेगे
आप की शुभ-कामनाए फलवती हो

-आनन्द

Yamini Gaur ने कहा…

well done...

आनन्द पाठक ने कहा…

प्रिय यामिनी जी
सराहना के लिए धन्यवाद

-आनन्द