गीत 05 [05]
कुंकुम से नित माँग सजाए ,प्रात: आती कौन ?
प्रात: आती कौन ?
प्राची की घूँघट अध खोले
अधरों के दो पुट ज्यों डोले
मलय गंध में डूबी-डूबी तुम सकुचाती कौन ?
तुम सकुचाती कौन ?
फूलों के नव-गंध बटोरे
अभिरंजित रश्मियाँ बिखेरे
करती कलरव गान विहंगम तुम शरमाती कौन?
तुम शरमाती कौन?
मन्द हवाएँ गाती आतीं
आशाओं की किरण जगाती
छम-छम करती उतर रही हो नयन झुकाती कौन?
नयन झुकाती कौन?
लहरों के दर्पण भी हारे
जब-जब तुमने रूप निहारे
पूछ रहे हैं विकल किनारे तुम इठलाती कौन?
तुम इठलाती कौन?
कुंकुम से नित माँग सजाए ....
-आनन्द.पाठक-
[सं0 28-04-19]
23 टिप्पणियां:
anand ji mujhe aapki kavita behad rochak lagi , bahut pasand aai
लहरों के दर्पण भी हारे
जब-जब तुमने रूप निहारे
पूछ रहे हैं विकल किनारे तुम इठलाती कौन?
कुंकुम से नित माँग सजाए ....
aapko is rachna ke liye bahut bahut badhai.
आनन्द जी,
आपका ब्लॉग देखा। अच्छा लगा। गीत तो शायद पहले भी पढ़ चुका था। ब्लॉग पहली बार देख रहा हूँ। एक निवेदन है, क्या प्रोफ़ाइल हिन्दी में लिखने में कुछ कठिनाई है और यह वर्ड वेरीफिकेशन का भी चक्कर खतम करने पर विचार करिये।
सादर
लहरों के दर्पण भी हारे
जब-जब तुमने रूप निहारे
पूछ रहे हैं विकल किनारे तुम इठलाती कौन?
सुन्दर शब्दों से रची .........सुन्दर रचना.....सुन्दर छंद...........
sundar geet....lajawaab
पाठक जी ब्लाग जगत में आपका हार्दिक स्वागत।
शब्दों की सुंदर अभिव्यक्ति के लिए बधाई स्वीकार करें।
पाठक जी ब्लाग जगत में आपका स्वागत है। शब्दों की सुंदर अभिव्यक्ति के लिए बधाई स्वीकार करें।
ब्लाग की दुनिया में आपका स्वागत है।
सुन्दर। ब्लागजगत में आपका स्वागत है।
कुंकुम से नित माँग सजाए ,प्रात: आती कौन ?
प्राची की घूँघट अध खोले
अधरों के दो पुट ज्यों डोले
मलय गंध में डूबी-डूबी तुम सकुचाती कौन ?
खूब कहा साहिब-स्वागत है अंतर्जाल दुनिया में
kindly remove word verification ,it makes comments difficult,you may visit my blogs
one of my gazal is
गीत गज़ल या गाली लिख
बात मगर मतवाली लिख
http://gazalkbahane.blogspot.com/ कम से कम दो गज़ल [वज्न सहित] हर सप्ताह
http:/katha-kavita.blogspot.com/ दो छंद मुक्त कविता हर सप्ताह कभी-कभी लघु-कथा या कथा का छौंक भी मिलेगा
सस्नेह
श्यामसखा‘श्याम
Bohothee sundar rachna...nisarg aur pyarka anupam,anootha sangam..
Anek shubhkamnayen..
आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . लिखते रहिये
चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है
गार्गी
bahut hi achha laga
badhai
blog or kavita dono shandar jandar, narayan narayan
sabhi mitro ka /saathiyon ka
utsaah vardhan ke lie aap logo ka bahut bahut dhanyvaad
---anand
वाह..भई..वाह,क्या खूब कल्पना है,गज़ब की शोखी-ए-नाज़ है..आपको हमारी शुभकामनाए ..
ये चाँद से मुखड़े पे भला लगता है कुमकुम
है तेरे हुस्ने दिल अफरोज़ का जेवर कुमकुम ... मक्
हिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका तहेदिल से स्वागत है....
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
बहुत सुंदर.हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं। मेरे ब्लोग पर भी आने की जहमत करें।
प्रिय भारती जी
आप क निमन्त्रण स्वीकार है
आप के ब्लाग पर भी ज़रूर आएगे
--आनन्द
मान्या सगीत जी
आप क स्नेह व आशीर्वाद मिलता रहेगा हम प्रयास करते रहेगे
आप की शुभ-कामनाए फलवती हो
-आनन्द
well done...
प्रिय यामिनी जी
सराहना के लिए धन्यवाद
-आनन्द
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