चन्द माहिया : क़िस्त 49
:1:
ये इश्क़ है जान-ए-जां
तुम ने क्या समझा
ये राह बड़ी आसां ?
:2:
ख़ामोश निगाहें भी
कहती रहती हैं
कुछ मन की व्यथायें भी
:3:
कुछ ग़म की सौगातें
जब से गई हो तुम
आँखों में कटी रातें
:4:
वो जाने किधर रहता
एक वही तो है
जो सब की खबर रखता
:5:
क्या जानू किस कारन ?
सावन भी बीता
आए न मेरे साजन
-आनन्द.पाठक-
:1:
ये इश्क़ है जान-ए-जां
तुम ने क्या समझा
ये राह बड़ी आसां ?
:2:
ख़ामोश निगाहें भी
कहती रहती हैं
कुछ मन की व्यथायें भी
:3:
कुछ ग़म की सौगातें
जब से गई हो तुम
आँखों में कटी रातें
:4:
वो जाने किधर रहता
एक वही तो है
जो सब की खबर रखता
:5:
क्या जानू किस कारन ?
सावन भी बीता
आए न मेरे साजन
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