चन्द माहिया : क़िस्त 61
:1:
गुलशन की हवाओं में
ज़ह्र भरा किसने
हर बार चुनावों में ?
:2:
दर्या ,परबत,झरना
चाँद सितारे सब
ये किसकी है रचना
:3:
कलियाँ सकुची सहमी
चश्म-ए-बद किसकी
आकर इन पर ठहरी
:4:
जितनी है तपिश बाहर
प्रेम अगन की क्या
उतनी ही तपिश अन्दर
;5:
दिल मेरा फ़क़ीराना
छोड़ तेरा अब दर
जाना तो किधर जाना
-आनन्द.पाठक-
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