बुधवार, 2 फ़रवरी 2022

अनुभूतियाँ : क़िस्त 16

 अनुभूतियाँ :क़िस्त 16 


1

कितनी बार कहा है तुम से 

भले बुरे का ज्ञान नहीं है, 

दुनिया है तो लूटेगी ही

जीवन-पथ आसान नहीं है ।


2

मेरी छोड़ो, मेरा क्या है

मैं हूँ, दिल है, तनहाई है,

आह नहीं भर सकता हूँ मैं

उस मे तेरी रुसवाई है ।

 

3

’शुचिता’ हो जब मन के अन्दर

मन का दरपन और निखरता,

रंग प्रेम का जब मिलता है 

निर्मल जीवन और सँवरता ।


64

दुनिया ख़त्म नहीं हो जाती

टूट गया दिल अगर कभी तो

यह तो मन की एक अवस्था

वरना आगे राह अभी तो ।


-आनन्द.पाठक-

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