हास्यिका          : हो जाए कुछ  हल्का- फुल्का  मिर्च-मसला 
                  बैठे- ठाले 'आनंद'  जी ने क्या लिख डाला 
     सावुनी दोहे 
'चारित्रिक व्यक्तित्व पर जो कीचड लग जाय 
'सर्फ़-अल्ट्रा' से धोइए श्वेत-धवल  हो जाय 
साबुन मल-मल जग मुआ  धवल वस्त्र न होय 
एक हाथ 'ओ0के०' मल्यौ धवल-धवल ही होय
लडकी  देखन  जाईहौ   वस्त्र  लिहौ   चमकाय
'हरा डिटर्जेंट व्हील ' का इज्ज़त लिऔ बचाय
'सुपर-सर्फ़ से धुल गयौ  भ्रष्टाचार  लकीर
दाग ढूढते रह गए  साधू  - संत -  फकीर 
नशा चढ़  गया फिल्म का टूटा उनका मौन
हर  कन्या से पूछते  हम   आप के  कौन 
-आनंद
 
 
1 टिप्पणी:
साबुनी दोहे लिखे विज्ञापन है मूल।
ब्लागिंग से रिश्ता बना भला गए क्यों भूल।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
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