ग़ज़ल 42[31A] : क्या करेंगे आप से हम ....
फ़ाइलातुन---फ़ाइलातुन--फ़ाइलातुन
2122---2122---2122
क्या करेंगे आप से हम याचनाएँ
लौट कर आनी सभी है जब सदाएँ
जो मिला अनुदान रिश्वत में बँटा है
फ़ाइलों में चल रहीं परियोजनाएँ
पत्थरों के शहर में कुछ आइने हैं
डर सताता है कहीं वो बिक न जाएँ
रोशनी के नाम दरवाजे खुले क्या
हादिसों की बढ़ गईं संभावनाएँ
चाहता है जो कहे,कुछ भी कहे ,वो
हर समय हम ’हाँ’ में उसकी ’हां’ मिलाएँ
आम जनता है बहुत कुछ देखती है
सब समझती है चुनावी गर्जनाएँ
वो इशारों में नहीं समझेगा ’आनन’
हैसियत जब तक नहीं उसकी बताएँ
-आनन.पाठक-
[सं 05-10-18]
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