चन्द माहिया : क़िस्त 38
:1:
जिनका हूँ दीवाना
देख रहें वो
जैसे मैं बेगाना
:2:
कोरी न चुनरिया है
कैसे मैं आऊँ ?
खाली भी गगरिया है
;3:
कुछ भी तो नही लेती
ख़ुशबू गुलशन की
फूलों का पता देती
:4:
दुनिया का मेला है
सब अपने ही हैं
दिल फिर भी अकेला है
5
केसर की क्यारी में
ज़हर उगाने की
सब क्यों तैय्यारी में
-आनन्द.पाठक-
[सं 15-06-18]
:1:
जिनका हूँ दीवाना
देख रहें वो
जैसे मैं बेगाना
:2:
कोरी न चुनरिया है
कैसे मैं आऊँ ?
खाली भी गगरिया है
;3:
कुछ भी तो नही लेती
ख़ुशबू गुलशन की
फूलों का पता देती
:4:
दुनिया का मेला है
सब अपने ही हैं
दिल फिर भी अकेला है
5
केसर की क्यारी में
ज़हर उगाने की
सब क्यों तैय्यारी में
-आनन्द.पाठक-
[सं 15-06-18]
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