चन्द माहिया : क़िस्त 40
:1:
जीवन की निशानी है
रमता जोगी है
और बहता पानी है
;2:
मथुरा या काशी क्या
मन ही नहीं चमका
घट क्या ,घटवासी क्या
:3:
ख़ुद को देखा होता
मन के दरपन में
तो सच का पता होता
:4:
बेताब न हो , ऎ दिल !
लौ तो जगा पहले
फिर जा कर उन से मिल
5
इतना ही समझ लेना
मै हूँ तो तुम हो
क्या और सनद देना
-आनन्द.पाठक-
[सं 15-06-18]
:1:
जीवन की निशानी है
रमता जोगी है
और बहता पानी है
;2:
मथुरा या काशी क्या
मन ही नहीं चमका
घट क्या ,घटवासी क्या
:3:
ख़ुद को देखा होता
मन के दरपन में
तो सच का पता होता
:4:
बेताब न हो , ऎ दिल !
लौ तो जगा पहले
फिर जा कर उन से मिल
5
इतना ही समझ लेना
मै हूँ तो तुम हो
क्या और सनद देना
-आनन्द.पाठक-
[सं 15-06-18]
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