2122---2122---2122
फ़ाइलातुन---फ़ाइलातुन--फ़ाइलातुन
बह्र-ए-रमल मुसद्दस सालिम
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एक ग़ज़ल 86
हौसला है ,दो हथेली है , हुनर है
किस लिए ख़ैरात पे तेरी नज़र है
आग दिल में है बदल दे तू ज़माना
तू अभी सोज़-ए-जिगर से बेख़बर है
साजिशें हर मोड़ पर हैं राहजन के
जिस तरफ़ से कारवाँ की रहगुज़र है
डूब कर गहराईयों से जब उबरता
तब उसे होता कहीं हासिल गुहर है
इन्क़लाबी मुठ्ठियाँ हों ,जोश हो तो
फिर न कोई राह-ए-मंज़िल पुरख़तर है
ज़िन्दगी हर वक़्त मुझको आजमाती
एक मैं हूं ,इक मिरा शौक़-ए-नज़र है
लाख शिकवा हो ,शिकायत हो,कि ’आनन’
ज़िन्दगी फिर भी हसीं है ,मोतबर है
-आनन्द.पाठक-
08800927181
शब्दार्थ
सोज़-ए-जिगर = दिल की आग
राहजन = लुटेरे [इसी से राहजनी बना है]
गुहर = मोती
पुरख़तर = ख़तरों से भरा
शौक़-ए-नज़र =चाहत भरी नज़र
[सं 28-05-18]
फ़ाइलातुन---फ़ाइलातुन--फ़ाइलातुन
बह्र-ए-रमल मुसद्दस सालिम
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एक ग़ज़ल 86
हौसला है ,दो हथेली है , हुनर है
किस लिए ख़ैरात पे तेरी नज़र है
आग दिल में है बदल दे तू ज़माना
तू अभी सोज़-ए-जिगर से बेख़बर है
साजिशें हर मोड़ पर हैं राहजन के
जिस तरफ़ से कारवाँ की रहगुज़र है
डूब कर गहराईयों से जब उबरता
तब उसे होता कहीं हासिल गुहर है
इन्क़लाबी मुठ्ठियाँ हों ,जोश हो तो
फिर न कोई राह-ए-मंज़िल पुरख़तर है
ज़िन्दगी हर वक़्त मुझको आजमाती
एक मैं हूं ,इक मिरा शौक़-ए-नज़र है
लाख शिकवा हो ,शिकायत हो,कि ’आनन’
ज़िन्दगी फिर भी हसीं है ,मोतबर है
-आनन्द.पाठक-
08800927181
शब्दार्थ
सोज़-ए-जिगर = दिल की आग
राहजन = लुटेरे [इसी से राहजनी बना है]
गुहर = मोती
पुरख़तर = ख़तरों से भरा
शौक़-ए-नज़र =चाहत भरी नज़र
[सं 28-05-18]
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