चन्द माहिया : क़िस्त 37
यह दिल ख़ामोश रहा
यह दिल ख़ामोश रहा
कह न सका कुछ भी
इसका अफ़सोस रहा
;2:
ये कैसी रवायत है
जाने क्यों तुम को
मुझ से ही शिकायत है
:3:
तुम ने ही बनाया है
ख़ाक से जब मुझ को
फिर ऎब क्यूँ आया है ?
:4:
सच है इनकार नहीं
’तूर’ पे आए ,वो
लेकिन दीदार नहीं
:5;
5
:3:
तुम ने ही बनाया है
ख़ाक से जब मुझ को
फिर ऎब क्यूँ आया है ?
:4:
सच है इनकार नहीं
’तूर’ पे आए ,वो
लेकिन दीदार नहीं
:5;
5
मुझको अनजाने में
लोग पढ़ेंगे कल
तेरे अफ़साने में
-आनन्द.पाठक-
शब्दार्थ
ज़हादत की बातें = जप-तप की बातें
तूर = उस पहाड़ का नाम जहाँ पर हज़रत
मूसा ने ख़ुदा से बात की थी
[सं 15-06-18]
लोग पढ़ेंगे कल
तेरे अफ़साने में
-आनन्द.पाठक-
शब्दार्थ
ज़हादत की बातें = जप-तप की बातें
तूर = उस पहाड़ का नाम जहाँ पर हज़रत
मूसा ने ख़ुदा से बात की थी
[सं 15-06-18]
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