1
यूँ रस्म-ए-वफ़ा सब से
रहती है उन की
हम से हैं ख़फ़ा कब से
2
ऐसी भी इयादत क्या
ग़ैरों से पूछो
’आनन’ की हालत क्या ?
3
ग़ैरों से रफ़ाक़त है
लेकिन मुझ से ही
बस उनको शिकायत है
4
"झूठी यह कहानी है "
हँस देती हो तुम
जाओ , न सुनानी है
5
कलियों पर जब छलके
मदमाता यौवन
गुलशन गुलशन महके
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें