रविवार, 20 सितंबर 2020

चन्द माहिए : क़िस्त 80

 1

यूँ रस्म-ए-वफ़ा सब से

रहती है उन की

हम से  हैं ख़फ़ा कब से 


2

ऐसी भी इयादत क्या

ग़ैरों से पूछो

’आनन’ की हालत क्या ?


3

ग़ैरों से रफ़ाक़त है

लेकिन मुझ से ही

बस उनको शिकायत है


"झूठी यह कहानी है "

हँस देती हो तुम 

जाओ , न सुनानी है 


5

 कलियों पर जब छलके

मदमाता  यौवन

गुलशन गुलशन महके


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