रविवार, 20 सितंबर 2020

चन्द माहिए : क़िस्त 83

 क़िस्त 83

1

अब क्या जीना  तुम बिन !

आस यही मन में 

तुम आओगे इक दिन


2

खिंचता जाता मन है

तेरी आँखों में

कैसा आकर्षन है


3

पीड़ा अनजानी है

एक सी क्यों लगती

दोनों की कहानी है


4

कह दो जो कहना है

वक़्त बहुत कम है

कितने दिन रहना है 


5

यह स्नेह का बन्धन है 

आप यहाँ आए 

स्वागत अभिनन्दन है