क़िस्त 82
1
कलियों में है हलचल
लहराया तुम ने
जब से अपना आँचल
2
मुझको तो भुला दोगे
पर यादें मेरी
तुम कैसे मिटा दोगे ?
3
कैसे है शरमाना
तुम से ही सीखा
कलियों ने इतराना
4
नैनों में बसे कोई
प्यार नहीं सच्चा
जब दिल में रचे कोई
5
गिन गिन कर रातें की
तनहाई में फिर
तसवीर से बातें की
सं 21-10-20
1 टिप्पणी:
बहुत सुंदर और उम्दा माहिया। बहुत-बहुत बधाई आपको।
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