क़िस्त 81
1
इतना न झुकाओ सर
ध्यान रहे इतना
दस्तार रहे सर पर
2
हलचल सी है मन में
महकीं फिर यादें
मन के इस उपवन में
3
कुछ लुत्फ़-ओ-इनायत भी
होती उल्फ़त में
कुछ शिकवा शिकायत भी
4
जो कह न सकी वो भी
सुन मेरे माही !
जो सह न सकी वो भी
5
बदरा बरसै झम झम
नाचै मन मोरा
पायल बोले छम छम
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