क़िस्त 05
:01:
जब बात निकल जाती
लाख जतन कर लो
फिर लौट के कब आती ?
:02:
उनकी ये अदा कैसी ?
ख़ुद से छुपते हैं
देखी न सुनी ऐसी
:03:
ऐसे न चलो हमदम !
लहरा कर जुल्फ़ें
आवारा है मौसम
:04:
जीवन का सफ़र मुश्किल
होता है आसां
मिलता जब दिल से दिल
:05:
जब क़ैद ज़ुबाँ होती
बेबस आँखें तब
अन्दाज-ए--बयाँ होती
3 टिप्पणियां:
वाह
वाह... बहुत सुंदर माहिया
वाह.. बहुत सुंदर माहिया
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