रविवार, 6 मार्च 2022

गीत 73 [09] : माँ मेरे सपनों में आती--

 गीत 

[Mother's Day पर कुछ पंक्तियाँ ----]

 माँ मेरे सपनों में आती
सौम्य मूर्ति देवी की जैसी, आकर ममता छलका जाती....
माँ मेरे सपनों में आती ---
 
कितनी धर्म परायण थी , माँ
करूणा की वातायन थी , माँ
समय शिला पर अंकित जैसे
घर भर की रामायन थी , माँ
 
जब जब व्यथित हुआ मन भटका जीवन के एकाकीपन में...
स्नेहसिक्त आशीर्वचन , माँ मुझ पर आ कर बरसा जाती....
माँ मेरे सपनों में आती,.....
 
साथ सत्य का नहीं छोड़ना
चाहे हों घनघोर घटाएँ
दीन-धरम का साथ निभाना
चाहे जितनी चलें हवाएँ
 
एक अलौकिक ज्योति पुंज-सी शक्ति-स्वरूपा सी लगती है
समय समय पर सपनों में माँ आकर मुझको समझा जाती
माँ मेरे सपनों में आती ---
 
घात लगाए बैठी दुनिया
सजग तुम्हें ही रहना होगा
जीवन पथ पर बढ़ना है तो
तुम्हें स्वयं ही लड़ना होगा
 
यहाँ रहे या वहाँ रहे माँ, जहाँ रहे बस माँ होती है
अपने आँचल की छाया कर सर पर मेरे फ़ैला जाती
माँ मेरे सपनों में आती ---


-आनन्द.पाठक-

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