212---212---22
फ़ाइलुन--फ़ाइलुन--फ़े’लुन
बह्र-ए-मुतदारिक मुसद्दस मक़्तूअ’ अल आख़िर
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एक ग़ज़ल 139 : दिल में इक अक्स जब उतरा--
दिल में इक अक्स जब उतरा,
दूसरा फिर कहाँ उभरा !
बारहा दिल मेरा टूटा,
टूट कर भी नहीं बिखरा|
कौन वादा निभाता है
कौन है क़ौल पर ठहरा ?
शम्मअ’ हूँ ,जलना क़िस्मत में
क्या चमन और क्या सहरा!
इश्क़ करना गुनह क्यों है ?
इश्क़ पर क्यों कड़ा पहरा
आजतक मैं नहीं समझा
इश्क़ से और क्या गहरा ?
है ख़बर अब कहाँ ’आनन’
वक़्त गुज़रा नहीं गुज़रा !
-आनन्द.पाठक-
फ़ाइलुन--फ़ाइलुन--फ़े’लुन
बह्र-ए-मुतदारिक मुसद्दस मक़्तूअ’ अल आख़िर
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एक ग़ज़ल 139 : दिल में इक अक्स जब उतरा--
दिल में इक अक्स जब उतरा,
दूसरा फिर कहाँ उभरा !
बारहा दिल मेरा टूटा,
टूट कर भी नहीं बिखरा|
कौन वादा निभाता है
कौन है क़ौल पर ठहरा ?
शम्मअ’ हूँ ,जलना क़िस्मत में
क्या चमन और क्या सहरा!
इश्क़ करना गुनह क्यों है ?
इश्क़ पर क्यों कड़ा पहरा
आजतक मैं नहीं समझा
इश्क़ से और क्या गहरा ?
है ख़बर अब कहाँ ’आनन’
वक़्त गुज़रा नहीं गुज़रा !
-आनन्द.पाठक-
शब्दार्थ
बारहा = बार बार
bb 08-06-21
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