रविवार, 21 मार्च 2021

अनुभूतियाँ : क़िस्त 006 -- होली पर

 अनुभूतियाँ 006 ओके

[ होली की अग्रिम  शुभकामनाओं के साथ----

 कुछ अनुभूतियाँ   ----[ होली पर ]

021

खुशियों के हर रंग भरे हैं,

प्रीत मिला कर रंगोली में,

फ़ागुन आया, सपने आए,

तुम भी आ जाते होली में।

 

022

एक बार में धुल जायेगा,

इन रंगों में क्या रख्खा है,

अगर लगाना है तो लगाना,

रंग प्रेम का ही सच्चा है।

 

023

राधा करतीं मनुहारें हैं,

"देख न कर मुझ से बरजोरी

कान्हा छोड़ कलाई मेरी

बातों में ना आऊँ तोरी” ।

 


024

छोड़ मुझेजाने दे घर को,

कान्हा ! मार न यूँ पिचकारी।

बड़े जतन से बचा रखी है,

कोरी चुनरिया, कोरी साड़ी।

 

-आनन्द.पाठक-

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