अनुभूतियाँ 006 ओके
[ होली की अग्रिम शुभकामनाओं के साथ----
021
खुशियों
के हर रंग भरे हैं,
प्रीत
मिला कर रंगोली में,
फ़ागुन
आया, सपने आए,
तुम भी
आ जाते होली में।
022
एक बार
में धुल जायेगा,
इन
रंगों में क्या रख्खा है,
अगर
लगाना है तो लगाना,
रंग प्रेम का ही सच्चा है।
023
राधा
करतीं मनुहारें हैं,
"देख न कर मुझ से बरजोरी
कान्हा छोड़ कलाई मेरी
बातों में ना आऊँ तोरी” ।
024
छोड़
मुझे, जाने दे घर को,
कान्हा
! मार न यूँ पिचकारी।
बड़े
जतन से बचा रखी है,
कोरी
चुनरिया, कोरी साड़ी।
-आनन्द.पाठक-
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