शनिवार, 26 अक्तूबर 2019

एक गीत 65 : आओ कुछ दीप हम जलाएँ----



एक गीत : आओ कुछ दीप हम जलाएँ---[दीपावली पर ]


एक अमा और हम मिटाएँ
आओ कुछ दीप हम जलाएँ

खुशियाँ उल्लास साथ लेकर
युग युग से आ रही दिवाली
कितना है मिट सका अँधेरा
कितनी दीपावली  मना  ली

अन्तस में हो घना अँधेरा ,आशा की किरण हम जगाएँ,
आओ कुछ दीप हम जलाएँ


नफ़रत की हवा बह रही है
और इधर दीप जल रहा है
रिश्तों पर धूल जम रही है
मन में दुर्भाव पल रहा  है

शान्ति के प्रतीक हैं कबूतर ,आसमान में चलो उड़ाएँ
आओ कुछ दीप हम जलाएँ


जगमग हो दीपमालिका से
हर घर का आँगन ,चौबारा
ज्योति कलश छलक छलक जाए
मिट जाए मन का अँधियारा

आया है पर्व रोशनी का   ,ज्योति-पर्व प्रेम से मनाएँ
एक अमा और हम मिटाएँ ,आओ कुछ दीप हम जलाएँ


-आनन्द.पाठक-

कोई टिप्पणी नहीं: