क़िस्त 011
41
पास पास जब दो बरतन हों
लाजिम उनका टकराना है।
छोड़ो छॊटी-मोटी अनबन
बोलो वापस कब आना है ?
42
दशकों का था साथ पुराना,
चाँदी से तुम मोल लगाए ।
सत्य यही है अगर तुम्हारा
तो फिर कौन तुम्हें समझाए?
43
चाँद सितारों वाली बातें,
लिख्खी हुई किताबों में हैं।
चाँद तोड़ कर लाने वाली
बातें केवल बातॊं में हैं ।
44
एक नहीं मैं ही दुनिया में
जिसकी कोई व्यथा पुरानी ।
एक नहीं. दो नहीं, हज़ारों
मेरी जैसी विरह
कहानी ।
-आनन्द.पाठक-
1 टिप्पणी:
बहुत ही बढ़िया कथ्य ।
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