शनिवार, 11 सितंबर 2021

अनुभूतियाँ : क़िस्त 011

 
क़िस्त 011
 
41
 पास पास जब दो बरतन हों
लाजिम उनका टकराना है।
छोड़ो छॊटी-मोटी अनबन
बोलो वापस कब आना है ?
 
42
दशकों का था साथ पुराना,
चाँदी से तुम मोल लगाए ।
सत्य यही है अगर तुम्हारा
तो फिर कौन तुम्हें समझाए?
 
43
चाँद सितारों वाली बातें,
लिख्खी हुई किताबों में हैं।
चाँद तोड़ कर लाने वाली
बातें केवल बातॊं में हैं ।
 
44
एक नहीं मैं ही दुनिया में
जिसकी कोई व्यथा पुरानी ।
यहाँ हज़ारों मिल जाएगीं
मेरी जैसी  विरह कहानी ।
 
-आनन्द.पाठक-
 

1 टिप्पणी:

Amrita Tanmay ने कहा…

बहुत ही बढ़िया कथ्य ।