गुरुवार, 23 सितंबर 2021

अनुभूतियाँ : क़िस्त 12

 

 

क़िस्त 12

 

1

साथ दिया है तूने तना

मुझ पर रही इनायत तेरी

तुझे नया हमराह मिला है

फिर क्या रही ज़रूरत मेरी ।

 

2

रहने दे ’आनन’ तू अपना

प्यार मुहब्बत जुमलेबाजी

मेरे चाँदी के सिक्कों पर

भारी कब तेरी लफ़्फ़ाज़ी ?

 

3

दिल पर चोट लगी है ऐसे

ख़ामोशी से डर लगता है

सब तो अपने आस-पास हैं

लेकिन सूना घर लगता है ।

 

4

इक दिन तो यह होना ही था

कौन नई सी बात हुई  है ,

जिसको ख़ुशी समझ बैठा था

वह ग़म की सौगात हुई है  

 

-आनन्द.पाठक-

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