गीत 79 [04]
थीम सांग--[ Jab We Mer -UOR-77]
मिले पुराने यार हमारे, झूमें नाचें गाएँ
वो भी दिन थे क्या मस्ती के, आज वही दुहराएँ
जम कर धूम मचाएँ, याराँ ! जम कर धूम मचाएँ
	गंग नहर की लहरों में है अब भी वही जवानी
	हम यारों में अब भी बाक़ी मस्ती और जवानी
	कभी चाँदनी रात बिताई ’सोलानी’ क तट पर
	मिल कर बैठेंगे, बाँटेंगे , यादें और कहानी ।
आसमान भी छोटा होगा उड़ने पर आ जाएँ
जम कर धूम मचाएँ, याराँ ! जम कर धूम मचाएँ
	’रुड़की’ से जब निकले हम सब घर-संसार बसाए
	बेटा-बेटी पढ़ा लिखा कर ,सच की राह लगाए
	अब उनकी अपनी दुनिया है, मेरे संग देवी जी
	बाक़ी बची ज़िंदगी अपनी हँसी-खुशी कट जाए
उतर गए जब बोझ हमारे मिल कर खुशी मनाएँ
जम कर धूम मचाएँ, याराँ ! जम कर धूम मचाएँ
	सबकी अपनी मंज़िल, सबके नए सफ़र थे
	जीवन की आपा-धापी में जाने किधर किधर थे
	मुक्त गगन के पंछी अब हम, आसमान अपना है
	कल तक हम सबके हिस्से थे , सबके नूर नज़र थे
वक़्त आ गया यारों के संग मिल कर समय बिताएँ
जम कर धूम मचाएँ, याराँ ! जम कर धूम मचाएँ
	कभी कभी ऐसा भी होता, मन फ़िसला, सँभला है
	कितनी बदल गई है ’रुड़की’, रंग नही बदला है
	शान हमारी क्या थी क्या है मत पूछो यह प्यारे
	हर इक साथी  ’रुड़की वाला’, नहले पर दहला है
इन हाथों के हुनर हमारे, दुनिया को दिखलाएँ
जम कर धूम मचाएँ, याराँ ! जम कर धूम मचाएँ
-आनन्द पाठक-