शुक्रवार, 12 अप्रैल 2024

दोहे 12 : चुनावी दोहे

दोहे 12: चुनावी दोहे


निर्दल बाँधे राखिए , डोरे उन पर डार ।
ना जाने किस हौद में, दें अपना मुँह मार ॥

छल कपट और मोह मद, नेता की पहचान ।
साँपन काटे बच सके , इनसे बचै न प्रान ।।

उड़न खटोला पे उड़ें, देख ग़रीबी रोय ।
जनता छप्पर पे टँगी, दर्द न पूछै कोय ।।

पीड़ित शोषित हो कहीं, आँसू पोछैं धाय ।
अगले किसी चुनाव में, वोट खिसक न जाय ॥

 एक टीस मन की यही, करती है बेचैन ।
मंत्री की कुर्सी मिले, जी में आवै चैन॥

शब्दों की बाजीगरी, नेता जी का खेल ।
वैचारिक प्रतिबद्धता, हुई हाथ की मैल ॥

देश प्रेम सेवा मदद , कुरसी के उपनाम ।
जब चुनाव जीते नहीं, अब क्या इनका काम ॥

-आनन्द.पाठक-


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