रविवार, 7 अप्रैल 2024

अनुभूतियाँ 136/23 : राम लला पर [ भाग-2]

अनुभूतियां~136/23 :

 541

मंदिर का हर पत्थर पावन
प्रांगण का हर रज कण चंदन
हाथ जोड़ कर शीश झुका कर
राम लला का है अभिनंदन


542

हो जाए जब सोच तुम्हारी

राग द्वेष मद मोह से मैली

राम कथा में सब पाओगे

जीवन के जीने की शैली ।


543

समझाने का मतलब क्या फिर

बात नहीं जब तुमने मानी

क्या कहता मै, जब तुमने ही

राह अलग चलने की ठानी


544

श्याम वर्ण मृदु हास अधर पर

अनुपम छवि पर हूँ बलिहारी

कृपा करो हे राम सियापति

आया हूँ प्रभु ! शरण तिहारी 


-आनन्द पाठक-

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