शुक्रवार, 12 अप्रैल 2024

दोहे 13: चुनावी दोहे


दोहे 13 : चुनावी दोहे

साईं इतना दीजिए, दस पीढ़ी खा पाय ।
मै तो भूखा ना रहूँ,  देश भले मर जाय ॥

लालटेन ले ढूंढते,  गली गली में वोट ।
अपने दल को छोड़ कर,सभी दलों में खोट ॥

घोटाले की नाव में, सत्ता की पतवार ।
कोर्ट कचहरी क्या करे, कर ले नदिया पार ॥

राजनीति के खेल में,  क्या अधर्म क्या धर्म ।
नेता सफलीभूत वही, कर ले सभी कुकर्म ॥

एक साँस  में फूँक दे , हवा ठंड औ'  गर्म ।
असली नेता है वही , जो समझे यह मर्म ॥

गमले उगे गुलाब भी , देते हैं उपदेश ।
बूढ़े बरगद हैं खड़े , शीश झुका दरवेश ॥

क्या जाने हम होत क्या, गठबंधन अनुबंध ।
नेता जी से पूछिए,  हम तो सेवक अंध ॥

-आनन्द.पाठक-

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