दोहे 13 :
साईं इतना दीजिए, दस पीढ़ी खा पाय ।
मै तो भूखा ना रहूँ, देश भले मर जाय ॥
लालटेन ले ढूंढते, गली गली में वोट ।
अपने दल को छोड़ कर,सभी दलों में खोट ॥
घोटाले की नाव में, सत्ता की पतवार ।
कोर्ट कचहरी क्या करे, कर ले नदिया पार ॥
राजनीति के खेल में, क्या अधर्म क्या धर्म ।
नेता सफलीभूत वही, कर ले सभी कुकर्म ॥
एक साँस में फूँक दे , हवा ठंड औ' गर्म ।
असली नेता है वही , जो समझे यह मर्म ॥
गमले उगे गुलाब भी , देते हैं उपदेश ।
बूढ़े बरगद हैं खड़े , शीश झुका दरवेश ॥
क्या जाने हम होत क्या, गठबंधन अनुबंध ।
नेता जी से पूछिए, हम तो सेवक अंध ॥
-आनन्द.पाठक-
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