रविवार, 13 अक्टूबर 2024

अनुभूति 155/42

अनुभूतिया 155/42


617

सात जनम की बातें करते

सुनते रहते वचन धरम में  

एक जनम ही निभ जाए तो

बहुत बड़ी है बात स्वयं में ।


618

बंद अगर आँखें कर लोगी

फिर कैसे दुनिया देखोगी

कौन तुम्हारा, कौन पराया

लोगों को कैसे समझोगी ।


619

सरल नही है सच पर टिकना

पग पग पर है फिसलन काई 

मिल कर टाँग खीचने वाले 

झूठों के जो है अनुयायी ।


620

यह दुनिया है, बिना सुने ही

ठहरा देगी तुमको मजरिम

लाख सफाई देते रहना

वही फैसला उसका अंतिम


-आनन्द पाठक-


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