645
नैतिकता की बातें सुन सुन
शेर हुआ क्या शाकाहारी ?
कल तक 'रावण' के चोले में
आज बने क्या अवध बिहारी ?
646
पग पग पर हैं गति अवरोध
ठोकर खा खा कर है चलना
जीवन इतना सरल नहीं है
गिरना उठना, स्वयं सँभलना ।
647
सोन चिरैया गाती जाए
अपनी धुन अपनी मस्ती में
हँस कर जीना,खुल कर हँसना
जितना दिन रहना बस्ती में ।
648
सबका अपना जीवन दर्शन
सबकी अपनी राम कहानी
अन्त सभी का एक समाना
बाक़ी चीज़े आनी-जानी ।
-आनन्द.पाठक-
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