मंगलवार, 22 अक्टूबर 2024

अनुभूति 161/48

 अनुभूति 161/48

641

सुन कर मेरी प्रेम-कहानी

साथी ! तुमको क्या करना है?

कर्ज किसी का मेरे सर पर

आजीवन जिसको भरना है।


642

कसमे वादे प्यार वफ़ा सब

जब तुमने ही भुला दिया है

मैने भी अपनी चाहत को

थपकी दे दे सुला दिया है ।


643

जो भी करना खुल कर करना

द्वंद पाल कर क्या करना है 

दुनिया की तो नज़रें टेढ़ी

दुनिया से अब क्या करना है ।


644

सत्य नहीं जब सुनना तुमको

और तुम्हे क्या समझाऊँ मैं

झूठ तुम्हे सब लगता है तो

चोट लगी क्या दिखलाऊँ मैं।

-आनन्द.पाठक-


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