मंगलवार, 18 फ़रवरी 2025

अनुभूतियाँ 168/55

 अनुभूतियाँ 168/55

669

मुक्त हंसी  जब हँसती हो तुम

हँस उठता है उपवन मधुवन

कोयल भी गाने लगती है 

और हवाएँ छेड़े सरगम ।


670

मछली जाल बचा कर निकले

लेकिन कब तक बच पाती है

प्यास अगर दिल में जग जाए

स्वयं जाल में  फँस जाती है ।


671

अवसरवादी लोग जहाँ हों

ढूँढा करते रहते अवसर

स्वार्थ प्रबल उनके हो जाते

धोखा देते रह्ते  अकसर


672

कितनी बार लड़े, झगड़े हम

रूठे और मनाए भी हैं ।

विरह वेदना में रोए तो

गीत खुशी के गाए भी हैं।


-आनन्द.पाठक-


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