एक कविता 04--
तुम जलाकर दीप
रख दो आँधियों में \
जूझ लेंगे जिन्दगी से
पीते रहेंगे
गम अँधेरा ,धूप ,वर्षा
सब सहेंगे \
बच गए तो रोशनी होगी प्रखर
मिट गए तो गम न होगा \
धूम-रेखा लिख रही होगी कहानी
"जिन्दगी मेरी किसी की भीख न थी --
-आनन्द पाठक---
तुम जलाकर दीप
रख दो आँधियों में \
जूझ लेंगे जिन्दगी से
पीते रहेंगे
गम अँधेरा ,धूप ,वर्षा
सब सहेंगे \
बच गए तो रोशनी होगी प्रखर
मिट गए तो गम न होगा \
धूम-रेखा लिख रही होगी कहानी
"जिन्दगी मेरी किसी की भीख न थी --
-आनन्द पाठक---
9 टिप्पणियां:
अति सुंदर ।
बहुत ही विश्वास से परिपूर्ण पंक्तियाँ है...
सुन्दर...
आदरणीया आशा जी
बहुत बहुत धन्यवाद आप का उत्साह वर्धन के लिए
आनंद
प्रिय लोकेन्द्र जी
बहुत बहुत धन्यवाद आप का उत्साह वर्धन के लिए
आनंद
बहुत अच्छा लिखा है आपने
"जिन्दगी मेरी किसी की भीख न थी
- विजय
प्रिय किसलय जी !
सराहना के लिए धन्यवाद
---आनंद
बहुत सुन्दर रचना-भावपूर्ण.
Waah ! sankshipt shabdon me gahan bhaav ... bahut sundar rachna...waah !!
प्रिय रंजना जी
आप का ब्लॉग देखा बहुत सुन्दर है
आप ने कविता सराही ,धन्यवाद
--आनंद
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