मंगलवार, 28 फ़रवरी 2023

चन्द माहिए : क़िस्त 96/06

 क़िस्त 96/06

1

तुम पास जो आओ तो

प्यास मेरी देखो

खुल कर जो पिलाओ तो


2

कब प्यास बुझी सब की

नदियाँ प्यासी हैं

प्यासा है समन्दर भी


3-

इक बार ही नाम लिया

नाम तेरा लेकर

जग ने बदनाम किया


4

मैं कैसे कह पाता

छू देती  गर तुम

मन और महक जाता


5

मन है महका महका

रंग लगा देना

मौसम भी है बहका


-आनन्द.पाठक-


कोई टिप्पणी नहीं: