529
रंग गुलालों का मौसम है
महकी हुई फिज़ाएँ भी हैं
कलियाँ कलियाँ झूम रही हैं
बहकी हुई हवाएँ भी हैं
530
रंगोली में रंग भरे हैं
चाहत के, कुछ स्नेह प्यार के
आ जाते तुम एक बार जो
आ जाते फिर दिन बहार के
531
"राधा" लुकती छुपती भागें
'कान्हा' ढूँढे भर पिचकारी
ग्वाल बाल की टोली आती
देख गोपियाँ देवै गारी ।
532
होली का संदेश हमारा
"प्रेम मुहब्बत भाईचारा"
गले लगा कर रंग लगाना
पर्व है अपना अनुपम न्यारा
-आनन्द पाठक-
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