गुरुवार, 22 सितंबर 2022

अनुभूतियाँ : किस्त 17

 

65

प्यार किसी का ठुकराने में

कितना वक़्त लगा करता है

लेकिन जिसकी चाहत हो तुम

सारी उम्र जगा करता है ।

 

66

बादल बरसा कर जल अपने

मन हल्का निर्मल कर लेते,

आँसू मेरे बरस न पाते -

मन बोझिल बोझिल कर देते ।

67

एक सहारा बन कर आई

तुम जो गई तो गया सहारा

जिसको छोड़ दिया हो तुम ने

 उसे मिला फिर कहाँ किनारा ।

 

68

आशाएँ ज़िन्दा रहती हैं

उम्मीदें कुछ अब तक बाक़ी

जिस घर को तुम छोड़ गई हो

 आज अभी तक खाली खाली ।  


 

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