गुरुवार, 22 सितंबर 2022

अनुभूतियाँ : किस्त 22

 

85

कल तुमने की नई शरारत,

दिल में अभी हरारत सी है

ख़्वाब हमारे जाग उठे फिर

राहत और शिकायत भी है

 

86

जब तुम को था दिल बहलाना

पहले ही यह बतला देते

लोग बहुत तुम को मिल जाते,

चाँद सितारे भी ला देते ।

 

87

मधुर कल्पना मधुमय सपनें

कर्ज़ तुम्हारा है, भरना है,

जीवन की तपती रेती पर

नंगे पाँव  सफ़र करना है ।

 

88

मत पूछो यह कैसे तुम बिन

विरहा के दिन, कठिन ढले हैं ,

आज मिली तो लगता ऐसे

जनम जनम के बाद मिले हैं ।


 

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