रविवार, 2 जून 2024

चन्द माहिए 103/13

 क़िस्त 103/13 [माही उस पार]


1

देखा जो कभी होता

ग़ौर से जब तुमको

मैं खुद में नहीं होता ।


2

ऎ दिल ! क्यॊं दीवाना

कब उसको देखा

पढ़ कर ही जिसे जाना ।


3

जो तेरे अन्दर है

देख ज़रा, पगले !

क़तरे में समन्दर है ।


4

भगवा कंठी माला

व्यर्थ दिखावा क्यों

जब मन तेरा काला ।


5

ऐसा भी आना क्या

"जल्दी  जाना है"

हर बार बहाना क्या ।


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