रविवार, 2 जून 2024

चन्द माहिए 104/14

 क़िस्त 104 /14 [माही उस पार]


1

जब तुम न नज़र आए

लाख हसीं चेहरे

मुझको न कभी भाए


2

नफ़रत को हराना है

तो सबके दिल में

उलफ़त को जगाना है


3

बस्ती तो जलाते हो

क्या हासिल होता

यह क्यों न बताते हो?


4

गुलशन में महक कैसी?

तुम तो नही गुज़री

डाली में लचक कैसी?

5

माना कि अँधेरा है

धीरज रख प्यारे

होने को सवेरा है


-आनन्द.पाठक-


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