सोमवार, 3 जून 2024

मुक्तक 12 [फ़र्द]

मुक्तक 12[ फ़र्द]

1/38

221--2121--1221--212

वह झूठ बोलता है , हुनरमंद यार है

ईमान बेचकर भी वो ईमानदार है

कर के गुनाह-ओ-जुर्म भी वह मुस्करा रहा

कहते सभी वो शख़्स बड़ा होशियार है ।


2/37

221---2121---1221---212

क्या इश्क़ है ग़लत कि सही? और बात है,

हसरत अयाँ न हो कि दबी ,और बात है ,

हाज़िर है मेरी जान मुहब्बत में आप की

माँगा न आप ने ही कभी, और बात है ।


3/1

1222---1222----1222---1222

ये दिल बेचैन रहता है अगर उनको नही पाता

भले गुलशन हो सतरंगी, बिना उनके नहीं भाता

सकून-ओ-चैन, ज़ेर-ए-हुक्म उनके आने जाने पर

वो आते हैं तो आता है, नहीं आते नही आता ।

4/8

2122---2122---212

ग़ौर से देखा नहीं खुद आप ने

झूठ कब बोला किए हैं आइने

खुद का चेहरा ख़ुद नज़र आता नहीं

जब तलक न आइना हो सामने ।


-आनन्द.पाठक-



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