रविवार, 28 जून 2020

चन्द माहिया : क़िस्त 67


क़िस्त 67

1
माया की राहों में
क़ैद हुए हम हैं
अपने ही गुनाहों में

2
अपना भी कोई होता
दिल मिल कर जिससे
हँसता ,गाता ,रोता

3
सब दीन धरम ईमां
नाक़िस हो जाते
जब राह-ए-गुनह इंसां

4
मन रहता उलझन में
जाऊँगी कैसे ?
सौ दाग़ है दामन  में

5
है कौन यहाँ ऐसा
चाह नहीं जिसको
सोना-चाँदी-पैसा



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