क़िस्त 69
1
उस पार सँवरिया है
जाऊँ मैं कैसे
कोरी न चुनरिया है
2
सुन, मेरे दिल-ए-नादाँ
उन बिन जीना क्या
लगता है तुम्हें आसाँ
3
लौ उनकी लगी मन में
अक्स नज़र आया
उनका ही कन कन में
4
ईमान लुटाते हो
नंगे से पहले
नंगे नज़र आते हो
5
जब तक ज़िन्दा ईमां
इंसाँ के अन्दर
तब तक ज़िन्दा इन्साँ
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