रविवार, 28 जून 2020

चन्द माहिए : क़िस्त 73


क़िस्त 73

1
सुख दुख न ठहर पाता
चाहे जैसा हो
हर वक़्त गुज़र जाता

2
जीवन के सफ़र में ग़म
आते जाते हैं
क्यों करता आँखें  नम

3
क्या क्या न पड़ा सहना
क़ायम है लेकिन
ईमान मेरा अपना

4
ग़मनाक है क्यों ऐ दिल !
राह अलग सब की
सब की अपनी मंज़िल

5
करनी भी शिकायत क्या
तुम ने कब समझा
इस दिल की चाहत क्या

-आनन्द.पाठक-


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