क़िस्त 73
1
सुख दुख न ठहर पाता
चाहे जैसा हो
हर वक़्त गुज़र जाता
2
जीवन के सफ़र में ग़म
आते जाते हैं
क्यों करता आँखें नम
3
क्या क्या न पड़ा सहना
क़ायम है लेकिन
ईमान मेरा अपना
4
ग़मनाक है क्यों ऐ दिल !
राह अलग सब की
सब की अपनी मंज़िल
5
करनी भी शिकायत क्या
तुम ने कब समझा
इस दिल की चाहत क्या
-आनन्द.पाठक-
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