क़िस्त 76
1
पूछो मत सब बातें
कैसे कटती हैं
तुम बिन मेरी रातें
2
सपने तो सुला देंगे
याद तुम्हारी सब
हम कैसे भुला देंगे ?
3
वादा न निभाओगी
झूठी कसमें ही ?
क्या खाते जाओगी?
4
तनहा तनहा रातें
कोई नहीं जिससे
सुन ले दिल की बातें
5
इतने न भले हो तुम
जैसे दिखते हो
भीतर से जले हो तुम
-आनन्द.पाठक-
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