बुधवार, 21 दिसंबर 2022

अनुभूतियाँ : क़िस्त 33

 

129

क्यों चिन्ता में डूबी रहती?

सबके साथ यही होता है,

कोई पा जाता है मंज़िल

कोई आजीवन रोता है ।

 

130

झूठ भले हो जितना सुन्दर

होते उसके पाँव नहीं है

सच तो चलता रहे निरन्तर

सच को मिलता छाँव नहीं है।

 

131

सच की राह बहुत लम्बी है

झूठ डगर पर हाथ मलोगी,

दोनों राह तुम्हारे सम्मुख

सोचो तुम किस राह चलोगी?

 

132

प्रश्न यही सौ बार उठा है

रिश्ता किसने तोड़ा पहले ,

इतने दिन तक साथ चली थी

फिर किसने मुँह मोड़ा पहले ।               


-आनन्द.पाठक


 

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