गुरुवार, 22 दिसंबर 2022

अनुभूतियाँ : क़िस्त 039

 अनुभूतियाँ : क़िस्त 039 ओके


153
प्यार, मुहब्बत, इश्क़, वफ़ा सब
बातें सभी किताबों में हैं,
कभी सामना हुआ नहीं पर
आते रहते ख़्वाबों में हैं ।
 
154
आँसू ग़म से भरे क़लम से
लिखा हुआ ख़त भेज न पाया ।
लिखने की तो बात बहुत थी
लेकिन भाव सहेज न पाया ।
 
155
जो भी होगा अच्छा होगा
कुछ तो होगा रब के मन में,
रोती क्यों है निश-दिन, पगली!
अच्छा ही होगा जीवन में।
 
156
कौन यहाँ सुनने को आतुर
मेरी यह अनकही कहानी
सुन ले कोई अगर इसे तो
आँखों में भर आए पानी ।
-आनन्द.पाठक-
 

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