149
इतने दिन तक तुम ने मुझको
जाँचा-परखा, देखा होगा ,
कितना साथ निभा पायेगा
दिल से अपने पूछा होगा ।
150
मेरी हसरत, तेरी हसरत
बीज प्यार का छुप छुप बोती,
आगे तो अब रब की मरजी
उल्फ़त होगी या ना होगी।
151
सूनेपन में दीवारों से
बातें करती यादें सारी
मैं कुछ कहता इससे पहले
बोल उठी तसवीर तुम्हारी ।
152
दिल का दरपन तोड़ गई तुम
हुआ आइना टुकड़ा टुकड़ा
चुन चुन कर बैठा हूँ कब से
किसे सुनाऊँ अपना दुखड़ा ।
-आनन्द पाठक-
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