गुरुवार, 22 दिसंबर 2022

अनुभूतियाँ : क़िस्त 038

 अनुभूतियाँ : क़िस्त 038 ओके

149

इतने दिन तक तुम ने मुझको

जाँचा-परखा, देखा होगा ,

कितना साथ निभा पायेगा

दिल से अपने पूछा होगा ।

 

150

मेरी हसरत, तेरी हसरत

बीज प्यार का छुप छुप बोती,

आगे तो अब रब की मरजी

उल्फ़त होगी या ना होगी।

 

151

सूनेपन में दीवारों से

बातें करती यादें सारी

मैं कुछ कहता इससे पहले

बोल उठी तसवीर तुम्हारी ।

 

152

दिल का दरपन तोड़ गई तुम

हुआ आइना टुकड़ा टुकड़ा

चुन चुन कर बैठा हूँ कब से

किसे सुनाऊँ अपना दुखड़ा ।


-आनन्द पाठक-

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