अनुभूतियाँ 148/35
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सदा बसें हिरदय में मेरे
राम रमैया सीता मैया
अंजनि पुत्र केसरी नंदन
साथ बिराजै लछमन भैया
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हो जाए जब सोच तुम्हारी
राग द्वेष मद मोह से मैली
राम कथा में सब पाओगे
जीवन के जीने की शैली ।
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एक बार प्रभु ऐसा कर दो
अन्तर्मन में ज्योति जगा दो
काम क्रोध मद मोह तमिस्रा
मन की माया दूर भगा दो ।
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इस अज्ञानी, इस अनपढ़ पर
कृपा करो हे अवध बिहारी
भक्ति भाव मन मे जग जाए
कट जाए सब संकट भारी
-आनन्द.पाठक-
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